हम रा हैं। हम आपका स्वागत अनंत रचयिता के प्रेम और रोशनी में करते है। हम अब संवाद करते है।

मुझे लगता है कि मालडेक से आत्माओं के ट्रांसफर से ठीक पहले के समय में वापस जाकर यह देखना हमारे लिए चीजें स्पष्ट कर देगा कि मालडेक से ज़ब इन आत्माओ को ट्रांसफर किया जा रहा था, उस प्रक्रिया को कैसे एक के नियम द्वारा संचालित किया जा रहा था, और यह क्यों जरूरी था? मालडेक मे ऐसा क्या हुआ था या वहाँ के लोगो के साथ क्या हुआ था, जिस कारण उन्होंने अपना ग्रह ही खो दिया था? यह सब कितने वर्षों पहले हुआ था?

हम रा हैं। मालडेक के लोगों की सभ्यता कुछ हद तक आपके ग्रह के उस सामाजिक समूह के समान थी जिसे आप अटलांटिस के नाम से जानते है, जिसमें उन्होंने बहुत अधिक तकनीकी जानकारी प्राप्त कर ली थी और अपने ग्रह के सुरक्षा की परवाह किए बिना उन्होंने इन तकनिकों का इस्तेमाल किया था, इसके कारण काफ़ी हद तक लोगो के सोच, विचार और कर्म नकारात्मक ध्रुवीयता के या स्वयं की सेवा वाले हो गए थे।

हालाँकि, यह, अधिकांश भाग के लिए, एक ईमानदार विश्वास/विचार संरचना में इस तरह से व्यक्त किया गया था जो इस ग्रह के मन/शरीर समूहों की धारणा को सकारात्मक और दूसरों की सेवा का मानता था। जिस विनाश ने उनके ग्रह के जीवमंडल का विनाश कर दिया था और उसके फटने का कारण बना, वह उसी का परिणाम था जिसे आप युद्ध कहते है।

उस समय के स्थान/समय में इनके समाज में पाए जाने वाले युद्ध की तकनीक में तेज़ी से वृद्धि हुई और यह अपने चरम सीमा तक पहुंच गई। इस तकनीक का इस्तेमाल उन्होंने आपके वर्षों के क़रीब सात शून्य पांच शून्य शून्य शून्य [705000] वर्षों पहले किया था। (इस ग्रह पर जीवन चक्र काफी काफ़ी पहले से ही शुरू हो गया था क्योंकि आपके सौर्य-मंडल में स्थान/समय निरंतरता में शुरुआत में ही यह पहली घनत्वता के रूपों का समर्थन करने में सक्षम था।) इस घटना के कारण वहां के लोगो को इतना आघात पहुंचा कि पूरे के पूरे सामाजिक समूह के अंदर डर की गांठ या उलझन लग गयी थी। आपका कुछ समय ऐसे ही गुजर गया। कोई भी उनके करीब नही पहुंच सका। कोई भी जीव उनकी सहायता नही कर पाया।

आपके वर्षों के लगभग छह सौ हज़ार [600,000] वर्षों पहले, तब के महासंघ के सदस्यों नें वहां पर एक सामूहिक स्मृति समूह की तैनाती करने में सक्षम हुए तथा उनके अंदर के डर की गांठ को खोला। फिर उन सभी इकाइयों को याद आया कि वो भी सचेत थे। इस जागरूकता नें उन्हें उस बिंदु पर लाया जिसे आप निचला एस्ट्रल तल कहते है जहाँ तब तक उनकी देखभाल की गयी जब तक कि उनमें से एक एक की मन/शरीर/आत्मा समूह पूरी तरह से उस सदमे से उस हद तक ना हील हो जाए कि उनमें से प्रत्येक इकाई अपने पिछले जन्म-भ्रम में अनुभव की गई विकृतियों की जांच करने में सक्षम ना हो जाएं।

सीखनें/सिखानें के अपने इस अनुभव को लेनें के बाद, पूरे समूह ने निर्णय लिया कि वो अपने ऊपर लगे कर्मों का निवारण करेंगे। इस उद्देश्य के लिए वो आपके ग्रह में जन्म लेकर आये परंतु उन्होंने मानव रूप को स्वीकार नही किया। वो, फिर, इस तरह के अनुभव तब तक करतें रहें, जब तक कि विनाश की विकृति, दूसरों की सेवा करने के कम विकृत दृष्टिकोण के तरफ नहीं बदल गई।

चुंकि यह उन मालडेक के अनुभव वाले जीवों में से अधिकांश का सचेत फैसला था, आपके ग्रह में यह परिवर्तन आपके वर्षों के लगभग पाँच सौ हज़ार [500,000] वर्षों पूर्व होना शुरू हो गया था, और उस समय जो भी शरीर उपलब्ध था उसका इस्तेमाल किया गया। 1

क्या उस समय जो शरीर समूह उपलब्ध थे उसे हम वानर प्रकार के कहते है?

यह सही है।

और क्या मालडेक के इकाइयों मे से किसी का भी अभी तक रूपांतरण हुआ है। क्या वो अभी तक दूसरी घनत्वता मे ही है, या वो लोग अभी किसी तीसरी घनत्वता के ग्रह का निर्माण कर रहे है?

इन इकाइयों की चेतना हमेशा से ही तीसरी घनत्वता की थी। परंतु पश्चाताप के तरीकों का डिज़ाइन इनके चेतना को दूसरी घनत्वता के भौतिक रासायनिक शरीर में रख कर किया था, जिससे कि वो उस हद तक निपुण और हेर फेर करने वाले नही होते, जो तीसरी घनत्वता के मन समूह के विकृतियों की क्रिया के लियें उचित है।

खैर, क्या इनमें से कोई इकाईयां अब आगे बढ़ पाई है, हम कहेंगे, पचहत्तर हजार साल के चक्र के अंत में क्या वो आगे बढ़ पाए है और दूसरे-घनत्वता वाले शरीर से तीसरे-घनत्वता-प्रकार के शरीर में पहुंच गए है?

हम रा हैं। इनमे से कई इकाईयां अपने कर्मो के संग्रह को हटाने में सक्षम हुई, इस प्रकार उन्होंने तीसरी घनत्वता के चक्र को तीसरी घनत्वता के शरीर में स्वीकार किया। उनमे से कई लोग थे जो अपने कर्मो को हटाने में सफल हुए थे, उन्होंने रचना के किसी और तीसरी घनत्वता के ग्रह मे आगे के चक्र के लियें जन्म लिया। जैसे ही यह ग्रह तीसरे घनत्वता में पहुंचा, इनमें से कुछ इकाईयां तीसरे घनत्वता वाले रूप में इस क्षेत्र के कंपनता में शामिल होने में सक्षम हो गईं। ऐसे कुछ लोग अभी भी बचे है जिनके मन/शरीर/आत्मा में अभी तक समन्वय नहीं होने के कारण है, वो अपने द्वारा की गई पिछली कार्रवाई को अभी तक कम नहीं कर पाए है। इसलिए, वो अभी तक दूसरे घनत्वता में ही बने हुए है।

क्या वो बिगफ़ुट है जिसके बारे में आपने बताया था?

हम रा हैं। वो एक तरह के बिगफ़ुट ही है।

फिर हमारी वर्तमान प्रजाति कुछ ऐसे लोगों से बनी थी जो मूल रूप से मालडेक से आए थे और कुछ ऐसे है जो मंगल ग्रह से आए थे। क्या यहां अन्य स्थानों से भी इकाईयां आई थी?

हम रा हैं। आपके समय/स्थान निरंतरता का अनुभव करने वाली ऐसी कई इकाईयां है जिनका स्त्रोत रचना में कई, कई स्थानों से है, क्योंकि जब किसी ग्रह का चक्र बदलता है तो वो जिन्हें दोहराना पड़ता है, उन्हें दोहराने के लिए उपयुक्त ग्रह क्षेत्र ढूंढना होता है। एक ग्रह के मन/शरीर/आत्मा समूह के लिए यह कुछ हद तक असामान्य है कि इसमें कई, कई अलग-अलग स्थान से लोग शामिल है, लेकिन यह वास्तव में बहुत कुछ समझाता है, क्योंकि, जैसा की आप देख रहें है, आप बड़ी संख्या में उन लोगों के साथ तीसरे-घनत्वता के घटना का अनुभव कर रहे है जो इस चक्र को दोहरा रहें है। इस वजह से, सभी के झुकाव को इस प्रकार एक करना मुश्किल है चाहें आपके कई सिखानें/सीखनें वाले भी क्यों ना इसमें सहायता करें।

जब मालडेक का विनाश हुआ था, तो क्या उस समय वहां पर सभी लोगो को दिक्कते हुई थी या कुछ ऐसे लोग बच गए थे जो कि थोड़े विकसित हो चुके हो औऱ जिन्हें किसी और ग्रह में ट्रांसफर कर दिया गया हो?

हम रा हैं। उनके ग्रह के फटने की घटना में कोई भी बच नहीं पाया, क्योंकि यह एक ऐसी गतिविधि है जिसने स्वयं ग्रहीय समूह के सामाजिक समूह को प्रभावित करने में बहुत योगदान दिया था। कोई भी गाँठ या उलझन से बच नहीं पाया था।

क्या इस समय पृथ्वी पर भी ऐसा होने का कोई ख़तरा है?

हम रा हैं। हमें लगता है कि आपके ग्रह के मन/शरीर/आत्मा समूह के तथाकथित भविष्य का आकलन करना शायद हानिराहित से कम हो सकता है। हम केवल आपके मन की स्थितियों के बारे में कह सकते है कि इस तकनीक का विकास और किस तरह से उसका प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह हमारी दूरदर्शिता/समझदारी की विकृतियां है कि आपके लोगों के दिमाग और आत्मा को दिशा देने की आवश्यकता है, बजाय इसके कि “खिलौनों” को ही नष्ट कर दिया जाए, क्योंकि क्या सभी चीजें जो मौजूद है वो रचयिता का हिस्सा नहीं है? इसलिए, स्वतंत्र रूप से चयन करना आपका सम्मान/कर्तव्य है।

जब ग्रेजुएशन होता है और एक इकाई या इकाईयां चक्र के अंत मे एक ग्रह से दूसरे ग्रह में जाते है, वो किस माध्यम से एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जाते है?

हम रा हैं। रचयिता द्वारा बनाई गयी योजना में, मन/शरीर/आत्मा संपूर्णता अस्तित्व का पहला कदम उसके मन/शरीर/आत्मा समूह को प्रेम और रोशनी के उचित स्थान में रखना है। ऐसा इसलिए होता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समूह की अच्छे से हीलिंग हो जाए और अंततः उसका संपूर्णता अस्तित्व समूह के साथ सामंजस्य स्थापित हो जाए। ऐसा करने के लिए आपके समय/स्थान की लंबाई काफ़ी अलग-अलग होती है।

यह पूरा होने के बाद उस चक्र के अनुभवो को घोल कर छाना जाता है जब तक कि विकृतियां या अनुभव अपने शुद्ध रूप ना रह जाए। इस समय कटाई करा चुकी मन/शरीर/आत्मा संपूर्णता अस्तित्व, अपने अस्तित्व की घनत्वता के आवश्यकताओं का मूल्यांकन करती है, और इस चक्र को दोहरानें या अगले चक्र में आगे बढ़ने के लियें अधिक उचित नए वातावरण का चुनाव करती है। यह कटाई का वह तरीका है, जिसकी कई लोग रक्षा करते है और जिस पर उनके द्वारा नजर रखी जाती है।

जब वो इकाई एक ग्रह से दूसरे ग्रह जाती है तो क्या वो सोच में जाती है या किसी वाहन में जाती है?

हम रा हैं। मन/शरीर/आत्मा संपूर्णता अस्तित्व रचयिता के साथ एक होता है। वहां कोई समय/स्थान की विकृति नहीं है। इसलिए, यह समय/स्थान के अनंत क्रम में उचित स्थान के बारे में सोचने का एक विषय है।

जब किसी इकाई का जन्म तीसरी घनत्वता में होता है, उस समय या तो वो जाने अनजाने अपने सबक सीख रहा हो, या फिर उसे एक के नियम का ज्ञान हो और वो जागरूक होकर सभी सबक को सीख रहा हो। दूसरे तरीको से, क्या यह संभव है कि उसका विकास बहुत अधिक तेज़ी से हो। क्या यह सही नही है?

हम रा हैं। यह सही है।

फिर हालांकि कई इकाइयों को इसकी जानकारी नही है, लेकिन वास्तव में उनकी इच्छा सिर्फ अपने विकास को तेज़ करना है, औऱ यह उनका कार्य है कि वो कैसे इस जन्म में इसे खोजे। क्या यह सही है कि दो जन्मो के बीच के समय के बजाय तीसरे घनत्वता में जन्म लेकर वो अपने विकास को और अधिक तेज़ी से कर सकते है?

हम रा हैं। यह सही है। हम कोशिश करते है कि इस बारे में बात करे।

एक के नियम की, प्रमुख विकृतियों में से एक, स्वतंत्र इच्छा की विकृति है। इस प्रकार हर इकाई अपने आसपास के मन/शरीर/आत्मा समूहों को स्वीकार करने, अस्वीकार करने या नजरअंदाज करने के लिए स्वतंत्र है, और वो चाहे तो स्वयं रचना को भी नजरअंदाज कर सकती है। आपके सामूहिक स्मृति समूह-विकृति के बीच ऐसे कई है जो, इस समय/स्थान में, रोजाना एक के नियम को उसके एक प्रमुख विकृतियों में से एक पर काम करने में लगे रहते है; जो कि, प्रेम के तरीके है।

हालांकि यदि वही इकाई—और गहराई से अपने मन/शरीर/आत्मा समूह का झुकाव प्रेम/रोशनी की तरफ ले जाए—फिर वर्तमान में उसके पास जितना भी समय/स्थान उपलब्ध है, वो उसके हर पल के लिए ज़िम्मेदारी स्वीकार करती है, तो ऐसी इकाई अपने विकास को ठीक उसी तरह से सशक्त बना सकती है जैसे हमारे द्वारा बताये गए तरीकों से आपके सामाजिक समूह-विकृति, महासंघ को किये गये कॉल को सशक्त करते है। 2

क्या आप अपने इस बात को थोड़ा अलग ढंग से बता सकते है कि कैसे आप इस पुकार को सशक्त कर सकते है?

हम रा हैं। हम समझते है कि अब आप हमारी पिछली जानकारी का जिक्र कर रहें है। कॉल की शुरुवात एक से होती है। इस कॉल को अनंत के बराबर माना जाता है और इसे जैसा कि आप कहेंगे, गिना नही जाता है। इसे आधारशिला कहा जाता है। दूसरे कॉल को जोड़ा जाता है। तीसरी कॉल, दूसरे को सशक्त करती है या दोहरा कर देता है और इसके आगे जितने लोग जुड़ते जाते है वो अपने पिछले कॉल को दोगुना या और अधिक सशक्त करती जाती है। इस प्रकार आपके कई लोगो की कॉल कई कई गुना बढ़ जाती है और एक रचना की अनंत सीमाओं तक ज़बर्दस्त ढंग से सुने जाने वाली कॉल बन जाती है।

इस किताब को पढ़ने वालों के सामान्य विकास के लिए, क्या आप कोई आदत या अभ्यास बता सकते है जिसे करने से उनका एक के नियम की ओर झुकाव में वृद्धि हो जाये?

हम रा है।

पहला अभ्यास। यह अभ्यास इस भ्रम में सबसे अधिक ध्यान देने और उपयोग करने योग्य है। हर पल में प्रेम होता है। यही इस भ्रम या घनत्वता का सबक/लक्ष्य है। अभ्यास यह है कि आपको सचेत होकर जागरूकता और समझदारी के विकृतियों में उस प्रेम को ढूंढना है। यह पहला प्रयास ही आधारशीला है। इसी चुनाव पर इकाई के बाकी के जीवन का अनुभव निर्भर करता है। प्रेम को खोजने का दूसरा प्रयास उस क्षण के अनुभव को जोड़ना शुरू करता है। प्रेम को खोजने का तीसरा प्रयास, दूसरे प्रयास को बल देता है, चौथा प्रयास तीसरे प्रयास को बल देता है तथा उसे दोहरा कर देता है। जैसा कि पहले यह बताया गया था कि हर प्रयास अपने पिछले प्रयास को दोहरा करता है, परंतु यदि आप इसे निष्ठापूर्वक ना खोजे तो इसके ताकत का थोड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि प्रेम को खोजने की सचेत इच्छा, इच्छाशक्ति का इतना केंद्रीय कार्य है कि इस घर्षण के कारण होने वाले ताकत का थोड़ा सा नुकसान भी कोई खास मायने नहीं रखता है।

दुसरा अभ्यास। यह ब्रह्मांड एक जीव है। जब भी एक मन/शरीर/आत्मा समूह किसी दूसरे मन/शरीर/आत्मा समूह को देखें, तो उसमें रचयिता को देखें। यह एक लाभदायक अभ्यास है।

तीसरा अभ्यास। एक आईने के भीतर देखे। रचयिता को देखे।

चौथा अभ्यास। उस रचना पर नज़र डालें जो प्रत्येक इकाई के मन/शरीर/आत्मा समूह में निहित है। रचयिता को देखें।

इस अभ्यास को करने की नींव या आधार ध्यान, चिंतन, या प्रार्थना की तरफ झुकाव का होना है। जब तक कि आप इनमें से कोई भी तरीका नहीं अपनाएंगे तब तक यह सारी जानकारियां आपके दिमाग के जड़ तक नहीं पहुंच पाएगी, जो शरीर को सक्षम और समृद्ध बनाती है और आत्मा को छूती है।

मैं सोच रहा था अटलांटिस और लुमेरिया की सभ्यता का आगमन कैसे हुआ था, जिस तरह से यह सभ्यता पाई गयी थी, और यह कहां से आई थी [आगे सुनाई नहीं दिया] सभ्यतायें?

हम रा हैं। यह हमारे इस सत्र का आख़िरी सवाल होगा। अटलांटिस और लेमुरिया की सभ्यताएं एक नहीं बल्कि अलग-अलग दो सभ्यताएं थी सबसे पहले हम म्यू के लोगों की बातें करते है।

वो कुछ हद तक प्राचीन सोच के जीव थे, लेकिन उनके पास काफी उन्नत आध्यात्मिक विकृतियां थी। यह सभ्यता इसी चक्र का हिस्सा थी, जिनका अनुभव इस चक्र में काफी पहले से शुरू हो गया था, जो आपके लगभग पांच तीन शून्य शून्य शून्य, तिरेपन हज़ार [53000] वर्षों पहले हुआ था। यह स्थान काफी मददगार तथा हानिरहीत थी जो कि आपके ग्रह के टेक्टोनिक प्लेट में बदलाव होने के कारण बिना उनके स्वयं के किसी क्रिया के समुद्र में नीचे समा गई थी।

उन्होंने उन लोगों को बाहर निकाला जो बच गए और कई स्थानों पर पहुंच गए जिसे आप रशिया, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका कहते है। जिन इंडियंस के प्रति आप अपनी सामाजिक समूह-विकृतियों में कुछ सहानुभूति महसूस करने आये हैं, वो इन्ही इकाइयों के वंशज है। इस चक्र में जिस तरह अलग-अलग जगहों से लोगों ने यहां जन्म लिया था ठीक उसी तरह वो भी कहीं और से आए थे। हालांकि, यह विशेष इकाईयां बड़े पैमाने पर दूसरी घनत्वता के उस ग्रह से आए थे जहां कुछ दिक्कतें थी क्योंकि उनके सूर्य का उम्र अधिक होने के कारण वहां तीसरी घनत्वता की स्थितियों का निर्माण नहीं हो पा रहा था। यह ग्रह डेनेब आकाशगंगा से था।

अटलांटियन प्रजाति एक संगठित सामाजिक समूह था जो कि आपके अतीत के स्थान/समय निरंतरता भ्रम में लगभग तीन एक शून्य शून्य शून्य, इकतीस हज़ार [31000] वर्षों पूर्व बनना शुरू हुआ था। यह आपके लगभग एक पांच शून्य शून्य शून्य, पंद्रह हज़ार [15000] वर्षों पूर्व तक एक धीमी गति से विकास करने वाला तथा अत्यंत कृषि प्रधान समाज था। वो शीघ्र ही उच्च तकनीकी समझ तक पहुंच गये थे, जिसके कारण वो कम जानकारीपूर्ण तरीके से अनंत बुद्धिमानिता का इस्तेमाल करने में सक्षम हो गये थे।

हम यह भी जोड़ना चाहेंगे कि उन्होंने दैवीय या अनंत ऊर्जा से प्रवाहित होने वाली नीली या पीनियल किरण के प्राकृतिक प्रवाह में भी काफी फेरबदल करके, बुद्धिमान ऊर्जा का भी इस्तेमाल किया था। इस प्रकार वो कई जीवन रूपों को बनाने में सक्षम हो गए थे। उन्होंने हिलिंग और स्वयं के मन/शरीर/आत्मा समूहों पर कार्य करके सुधार लाने के बजाए इस तरह के कार्य करने शुरु कर दिए थे, और अपने विकृतियों को उस ओर मोड़ दिया था जिसे आप नकारात्मक कहते है।

आपके लगभग ग्यारह हज़ार [11,000] वर्षों पहले, जिसे आप युद्ध कहते है, उसके कारण इस आबादी के लगभग चालीस प्रतिशत आबादी ने शरीर के विघटन के माध्यम से इस घनत्वता को छोड़ दिया था। दूसरा और सबसे विनाशकारी संघर्ष भ्रम के अनुसार आपके अतीत में लगभग एक शून्य आठ दो एक, दस हज़ार आठ सौ इक्कीस [10,821] वर्षों पहले हुआ था। इससे पृथ्वी के व्यवस्था में काफ़ी बदलाव आया और अटलांटिस का बड़ा हिस्सा नहीं रहा और जलमग्न हो गया। सकारात्मक झुकाव वाले तीन अटलांटियन समूहों ने उस विनाश से पहले इस भौगोलिक स्थान को छोड़ दिया था, और स्वयं को पहाड़ी क्षेत्रों में बसा लिया जिसे आप तिब्बत कहते है, जिसे आप पेरू कहते है, और जिसे आप तुर्की कहते है।

इस मीटिंग को बंद करने से पहले क्या आपके पास कोई छोटा सवाल है?

केवल एक, इस सवाल के अलावा कि उपकरण को अधिक आरामदेह बनाने के लिए हम क्या कर सकते हैं। मेरे पास केवल एक अन्य सवाल है। आपके द्वारा इस्तेमाल किये गये “आकाशगंगा” शब्द के बारे में मैं थोड़ी जानकारी चाहता हूं।

हम रा हैं। हम ध्वनि कंपन परिसर “आकाशगंगा” द्वारा आपके लोगों को ज्ञात शब्द का इस्तेमाल करते हैं। हम स्वीकार करते है कि कुछ आकाशगंगा में एक ग्रहीय और सौर्य समूह होतें है तो अन्य में कई सारे होते है। हालाँकि, अनंत समय/स्थान आयाम में स्थान का महत्व इतना कम है कि हम ऐसे अस्पष्ट शब्द में होने वाले विकृति को स्वीकार करते है।

फिर हमारे सौर्यमंडल में जो नौ ग्रह और एक सूर्य है, आप उसे सौर्य आकाशगंगा कहेंगे?

हम नही कहेंगे।

एक आकाशगंगा में, लगभग, कितने तारे होते है?

यह आकाशगंगा के व्यवस्था पर निर्भर करता है। जैसे कि आपको पता है, आपकी अपनी आकाशगंगा के बारे में कि इसमें कई कई लाखों ग्रह इकाईयां और आकाशीय पिंड है।

मैं बस उस परिभाषा तक पहुंचने का प्रयास कर रहा था जिसका उपयोग आप आकाशगंगा के लिए कर रहे थे। आपने इसके बारे में दो-चार बार बताया था और मुझे ऐसा लगा कि [आगे सुनाई नहीं दिया] जिसे आप आकाशगंगा कहते है, उसे हम एक ग्रह मंडल कहते है। क्या इस उपकरण को अधिक आरामदेह बनाने का कोई तरीका है?

हम रा हैं। यदि इस उपकरण के शारीरिक समूह को अधिक सहारा दिया जाए तो उसे कुछ हद तक अधिक आरामदेह बनाया जा सकता है। इसके अलावा, हम केवल यही अनुरोध दोहरा सकते है कि इस उपकरण के संतुलन को सुविधाजनक बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रतीकों को सावधानीपूर्वक एक सीध में रखा जाना चाहिए। हमारा संपर्क काफी सँकरे बैंड का है और इस प्रकार हमारे साथ लाया गया प्रवाह सटीक होना चाहिए।

हम आपको अब प्रेम में और एक अनंत रचयिता की रोशनी में छोड़ रहे है। आगे बढ़ो, फिर, एक अनंत रचयिता की शक्ति और शांति में आनंदित रहो। अडोनाई।


  1. इस सवाल में दी गई तारीखें #21.5 में दी गई तारीखों से मेल नहीं खातीं है। 

  2. #7.3–5 में बताया गया है।