हम रा हैं। हम आपका स्वागत एक अनंत रचयिता के प्रेम और रोशनी में करते हैं। अब हम संवाद करते हैं।

सबसे पहले मैं उन बेवकूफी भरे सवाल के लियें माफी माँगना चाहूँगा जो मैंने यह खोजते समय पूछे थे कि हमें क्या करना चाहिए। मैं समझता हूंँ कि हम जो कर रहे है वह एक बड़े सम्मान और सौभाग्य की बात है कि हम भी एक के नियम के विनम्र दूत हैं, और इस समय हमारा विश्वास है कि इस किताब को इस तरह से तैयार करना है कि हम इसकी शुरुआत उस विषय से करें जहां से इस सृष्टि के बनने क़ी शुरुआत हुई थी, उसके बाद हम मानव जाति के विकास-क्रम पर बात करेंगे, और उसके बाद हम पृथ्वी पर मानव जाति के विकास क्रम पर बात करेंगे, मेरी तरफ से सबसे अच्छा [आगे सुनाई नहीं दिया], हर समय इस बात की जाँच करना है कि एक के नियम का इस्तेमाल कैसे किया गया था [आगे सुनाई नहीं दिया]। मैं यह भी सोचता हूँ कि…कि मुझे किताब ख़त्म करनी है…जो सामग्री हमारे पास पहले से ही है उसे किताब के अंत तक ले जाने दें। [आगे सुनाई नहीं दिया]

हम यह भी सुझाव देते है कि इस किताब का नाम, द लॉ ऑफ वन रखा जाएं। मैं चाहूंगा किताब के लेखक में, रा का नाम रखा जाएं। क्या आप इससे सहमत हैं?

हम रा हैं। आपका सवाल अस्पष्ट है। क्या आप अलग अलग सवाल पूछ सकते हैं जिससे हम एक जैसे सहमत हों?

सबसे पहले, मैं सृष्टि की शुरुआत से शुरू करना चाहूंगा, जितना पीछे हम जा सकें और इसका अनुसरण आज के समय में मानव के विकास तक कर सकें। क्या यह स्वीकार किए जाने योग्य है?

हम रा हैं। यह पूरी तरह से आपकी विवेक/समझदारी/फैसला है।

दूसरी बात, मैं चाहूँगा कि इस किताब का नाम हम द लॉ ऑफ वन, बाइ रा रखें। क्या यह स्वीकार किए जाने योग्य है? 1

हम रा हैं। किताब के नाम स्वीकार किए जाने योग्य हैं। हमारी समझ की विकृति के अनुसार, लेखक कार्य के लिए कंपनात्मक ध्वनि समूह रा, अधूरा है। हम तो केवल संदेशवाहक हैं।

क्या आप बता सकते है कि इस किताब का लेखक कौन होना चाहिए?

हम तो केवल यह विनती कर सकते हैं कि यदि आपकी विवेक/समझदारी यह सुझाव देती है कि यदि आप इस कंपनात्मक ध्वनि समूह रा के साथ “एन हम्बल मैसेंजर ऑफ़ द लॉ ऑफ़ वन” यह वाक्य जोड़ सकते है।

धन्यवाद, क्या आप हमें बता सकते हैं कि सबसे पहली, ज्ञात वस्तु इस रचना में क्या थी?

हम रा हैं। सबसे पहली ज्ञात वस्तु इस रचना में “अनंतता” है। यह अनंतता ही रचना है।

इस अनंतता से वह अवश्य आया होगा जिसे हम रचना के रूप में अनुभव करते है। अगला कदम या अगला विकास क्या था?

हम रा हैं। अनंतता जागरूक हो गई थी। यही अगला कदम था।

इसके बाद, क्या हुआ था?

इस जागरूकता ने अनंतता का ध्यान अनंत ऊर्जा की और केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। आप इसे कई कंपनात्मक ध्वनि समूहों से जानते है, इनमे से आपके कानों में सबसे सामान्य नाम “लोगोस” या “प्रेम” है। रचयिता एक जागरूकता या चेतन के सिद्धांत के रूप में अनंतता पर ध्यान केंद्रित कर रहें हैं, जितनी बारीकी से हम आपकी भाषा में इस समझ/सीखने का निर्माण कर सकते हैं, इसे हमारे द्वारा अनंत बुद्धिमानिता कहा जाता हैं।

क्या आप अगला कदम बता सकते हैं?

अगला कदम अभी भी, आपके भ्रम में इस स्थान/समय के बंधन में, इसके विकास को प्राप्त करना है, जैसा कि आप इसे अपने भ्रम में देख सकते हैं। अगला कदम रचनात्मक सिद्धांत के प्रति एक अनंत प्रतिक्रिया है जो अपनी प्रमुख विकृतियों में से एक, इच्छा की स्वतंत्रता में एक के नियम का पालन करता है। इस प्रकार कई कई आयाम, अनंत संख्या में, संभव हैं।

सबसे पहले, अनियमित रचनात्मक बल के प्रवाह के कारण ऊर्जा अनंत बुद्धिमानिता से बाहर की ओर चलती है, यह फिर पैटर्न्स बनाती है जिसकी बनावट होलोग्राफिक है, जो संपूर्ण रचना के रूप में दिखाई देती है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किस दिशा या ऊर्जा की खोज की जा रही है। फिर ऊर्जा के यह पैटर्न्स अपने स्वयं के स्थानीय लय और ऊर्जा के क्षेत्रों को नियमित करना शुरू करती हैं, इस प्रकार आयामों और ब्रह्मांडों का निर्माण होता है।

फिर क्या आप बता सकते हैं कि यह आकाशगंगा और ग्रहों की व्यवस्था कैसे बनी थीं?

हम रा हैं। आपको इस सवाल में सोच की बड़ी छलांग लगानी होगी, क्योंकि पिछले सवाल में, जैसा कि आप इसे कहते है, भौतिक ब्रह्मांडों का अभी जन्म नहीं हुआ था।

यह ऊर्जाएं बड़ी तेज़ी से बुद्धिमान पैटर्न्स में तब तक चलती हैं जब तक कि अनंत बुद्धिमानिता के रचनात्मक सिद्धांत से निकलने वाली अलग अलग ऊर्जाओं का वैयक्तिकरण इस तरह से नहीं हो जाए कि वो सह-रचयिता बन जाएं। इस प्रकार तथाकथित भौतिक पदार्थ की शुरुआत हुई। रोशनी की अवधारणा विचार की इस महान छलांग को समझने में सहायक है, क्योंकि अनंतता की यह कंपनात्मक विकृति उस चीज़ की बिल्डिंग ब्लॉक है जिसे पदार्थ के रूप में जाना जाता है, रोशनी बुद्धिमान हैं और ऊर्जा से भरपूर है, इस प्रकार यह अनंत बुद्धिमानिता की पहली विकृति है जिसे रचनात्मक सिद्धांत कहा जाता है।

प्रेम की इस रोशनी को इसकी घटनाओं के अस्तित्व में कुछ खास विशेषताओं के साथ बनाया गया था, उनमें से पूरे अनंतता को विरोधाभासी रूप से सीधी रेखा द्वारा वर्णित किया गया है, जैसा कि आप इसे कहेंगे। यह विरोधाभास विभिन्न भौतिक भ्रम के इकाइयों के आकार के लिए जिम्मेदार है जिन्हें आप सौर मंडल, आकाशगंगाएं और ग्रह कहते है, जो सभी घूम रहें है और लेंटिकुलर की ओर झुक रहें हैं।

मुझे लगता है कि मैंने यह सवाल पूछ कर गलती कर दी है, जिस प्रक्रिया के बारे में आप समझा रहे हैं उसमें हम काफी आगे निकल गए हैं। क्या आप इस अंतर को भरने में मददगार होंगे जो कि मैंने गलती से कर दिया है?

हम रा हैं। हम इस अंतर को भरने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, आप हमें किसी भी तरह के सवाल पूछ सकते हैं जो आपको उचित लगे।

क्या आप हमें बता सकते हैं…पिछले सवाल में मैंने आपसे आकाशगंगा और ग्रहों के बारे में पूछा था, क्या आप हमें बता सकते हैं कि उस कदम के आगे अगला कदम क्या हुआ था?

हम रा हैं। कदम, जैसा कि आप इन्हे कहते हैं, इस सवाल के पूछे जाने के इस बिंदु पर, यह एक साथ घटित हो रहा है और यह अनंतता में भी होता ही जा रहा है।

क्या आप हमें बता सकते हैं कि अनंत बुद्धिमानिता कैसे, हम कहेंगे—मुझे भाषा से थोड़ी कठिनाई हो रही है—अनंत बुद्धिमनिता कैसे स्वयं को व्यक्तिगत तौर पर बनाती है?

हम रा हैं। यह एक उचित सवाल है।

अनंत बुद्धिमानिता ने एक अवधारणा को पहचाना था। जागरूकता के इच्छा की स्वतंत्रता के कारण इस अवधारणा को पहचाना गया था। यह अवधारणा सीमितता थी। यही एक के नियम की सबसे पहली विरोधाभास या विकृति थी। इस प्रकार एक अनंत बुद्धिमानिता ने स्वयं की अनेकता में खोज की। अनंत बुद्धिमानिता की अनंत संभावनाओं के कारण, अनेकता का कोई भी अंत नहीं था। इस प्रकार, यह खोज, भी शाश्वत वर्तमान में अनंत काल तक जारी रहने के लिए स्वतंत्र हो गई है।

क्या जिस आकाशगंगा में हम हैं वो अनंत बुद्धिमानी द्वारा बनाई गयी थी, या क्या यह व्यक्तिगत अनंत बुद्धिमानी के एक हिस्से के द्वारा बनाई गयी थी?

हम रा हैं। आकाशगंगा, और सारी भौतिक वस्तुएं जिसके बारे में आप जानते हैं, यह सब अनंत बुद्धिमानिता के अंदर बनी हुई एक व्यक्तिगत हिस्से है। जैसे-जैसे हर खोज की शुरुआत होती है, वह, बदले में, अपना ध्यान केंद्रित करती है, इस तरह वह सह-रचयिता बन जाती है। इसी अनंत बुद्धिमानिता का इस्तेमाल करके उनमें से छोटे-छोटे हर हिस्सों ने अपना एक ब्रह्मांड बनाया हैं, और—स्वतंत्र चुनाव के बहाव की लय को प्रवाहित होने की अनुमति दे रहें हैं और संभावनाओं के अनंत स्पेक्ट्रम के साथ खेल रहें हैं—प्रत्येक व्यक्तिगत हिस्सों ने प्रेम/रोशनी को उस चीज़ मे चैनल किया था जिसे आप बुद्धिमान ऊर्जा कह सकते हैं, इस प्रकार कोई भी विशेष ब्रह्मांड अपना स्वयं का तथाकथित प्राकृतिक नियम बना रही है।

प्रत्येक ब्रह्मांड, बदले में, एक फोकस के लिए व्यक्तिगत हो जाते है, बदले में, सह-निर्माता बन जाते है, और आगे और विविधता की अनुमति देते है, इस प्रकार आगे की बुद्धिमान ऊर्जाओं को बना रहें है, उन काँपने वाले पैटर्न्स को नियमित कर रहें है या उसके प्राकृतिक नियमों को प्रकट करनें का कारण बन रहें है, जिसे आप सौर मंडल कहेंगे। इस प्रकार हर सौर मंडल के भी अपने, हम कहेंगे, भ्रम के प्राकृतिक नियम में स्थानीय समन्वय व्यवस्था होती है।

इसे इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि कोई भी हिस्सा, चाहे वो कितना भी छोटा क्यों ना हो, किसी भी घनत्वता या भ्रम के पैटर्न में शामिल हो, जैसा कि एक होलोग्राफिक चित्र में होता है, एक रचयिता है जो अनंत है। इस प्रकार सब कुछ रहस्य में ही शुरू होता है और रहस्य में ही समाप्त हो जाता है।

क्या आप बता सकते हैं कि अनंत बुद्धिमानिता के व्यक्तिगत हिस्सों ने कैसे हमारी आकाशगंगा को बनाया [आगे सुनाई नहीं दिया] कि उसी हिस्से ने हमारे ग्रहों की व्यवस्था को बनाया है और, यदि ऐसा है तो, यह कैसे हुआ?

हम रा हैं। शायद हो सकता है कि हमने आपके सवाल को गलत समझा हो। हम इस विकृति/धारणा के अधीन थे कि हमने इस विशेष सवाल का जवाब दे दिया है। क्या आप सवाल को दोहराएँगे?

मुख्य रूप से, फिर, कैसे, हम कहेंगे, ग्रहों की जिस व्यवस्था में हम अभी हैं वह जब विकसित हुई थी—क्या वह सब एक ही बार में बन गया था, या वहां पहले हमारा सूर्य बना और वह [आगे सुनाई नहीं दिया] बना था?

हम रा हैं। यह प्रक्रिया आपके भ्रम के, बड़े हिस्से से, छोटे हिस्से तक हुई है। इस प्रकार सह-रचयिता ने, आकाशगंगा को व्यक्तिगत करके, ऊर्जा के पैटर्न्स बनाये, जिसने फिर अपना ध्यान आगे अनंत बुद्धिमानिता की सचेत जागरूकता में असंख्य दिशाओं में केंद्रित किया। इस प्रकार, यह सौरमंडल जहाँ आप रह रहे हैं इसने भी अपने पैटर्न्स बनाये, लय बनायी और अपने तथाकथित प्राकृतिक नियम बनाये जो अपने आप में अनूठा है। हालांकि यह प्रगति आकाशगंगा की कुंडलीदार उर्जा से, सूर्य की कुंडलीदार ऊर्जा तक जाती है, फिर ग्रहीय कुंडलीदार ऊर्जा तक जाती है, फिर कुण्डलीदार ऊर्जा के अनुभवात्मक परिस्थितियों तक जाती है जिससे उस ग्रह की इकाइयों की जागरूकता या चेतना की पहली घनत्वता की शुरुआत होती है।

क्या आप मुझें इस ग्रहीय इकाइयों की पहली घनत्वता के बारे में बता सकते हैं?

हम रा हैं। प्रत्येक चरण जागरूकता की खोज में अनंत बुद्धिमानिता की पुनरावृत्ति करती है। एक ग्रहीय वातावरण में, सभी की शुरुआत वहीं से होती है जिसे आप उथल-पुथल कहते है, ऊर्जाएं अपने अनंतता में दिशाहीन और अनियमित होती हैं। धीरे धीरे, आपकी समझ की दृष्टि से, इस आत्म-जागरूकता पर ध्यान केंद्रित होता है। इस प्रकार लोगोस चलते हैं। सह-रचयिता के पैटर्न और कंपनता की लय के अनुसार रोशनी अंधेरे को बनाने के लिए आती है, जिससे एक निश्चित प्रकार का अनुभव बनता है।

यह पहली घनत्वता से शुरु होती है जो कि चेतना की घनत्वता होती है, ग्रह पर खनिज और जल का जीवन अग्नि और वायु से अपनी अस्तित्व की जागरूकता सीखते हैं। यही पहली घनत्वता होती है।

क्या पहली घनत्वता और अधिक जागरूकता के लिए प्रगति करती है?

कुंडलीदार ऊर्जा, जो कि रोशनी की विशेषता हैं, यह सीधी रेखा में कुण्डलीदार रूप से चलती है, इस प्रकार यह कुण्डलीयों को अनंत बुद्धिमानिता के संबंध में और अधिक विस्तृत अस्तित्व के लिए ऊपर की ओर एक अनिवार्य वेक्टर प्रदान करती है। इस प्रकार पहले आयाम का अस्तित्व, दूसरी घनत्वता के एक प्रकार के जागरूकता के सबक सीखने की तरफ आगे बढ़ने का प्रयास करता है, जिसमें विघटन या अनियमित परिवर्तन के बजाय विकास शामिल होता है।

क्या आप बता सकते हैं कि विकास से आपका क्या मतलब है?

हम रा हैं। यदि आप कर सकें तो, पहली-कंपनता के खनिज पदार्थ या जल का जीवन और निचले दूसरी घनत्वता के ऐसे जीव जिसने उसके अस्तित्व के भीतर और उसके ऊपर घूमना शुरू किया हैं, उनके बीच के अंतर का चित्र बनाइये। यह गति ही दूसरी घनत्वता की विशेषता है जो रोशनी की ओर बढ़ने का प्रयास करती है और विकास करती है।

रोशनी की ओर आगे बढ़ने का प्रयास, इससे आपका क्या मतलब है?

हम रा हैं। रोशनी की ओर बढ़ने का प्रयास करने वाले दूसरी घनत्वता के विकास का एक सबसे साधारण उदाहरण है जैसे कि यदि आप एक पत्ते को देखें तो आप पाएंगे कि यह रोशनी के स्त्रोत की ओर ही बढ़ता है।

क्या पहली और दूसरी घनत्वता के बीच कोई भौतिक अंतर होता है? उदाहरण के तौर पर, यदि मैं दूसरी घनत्वता का ग्रह और पहली घनत्वता का ग्रह, दोनों को मेरी आज की परिस्थिति में साथ साथ रख कर देखूँ तो, क्या मैं इन दोनों को देख सकता हूँ? क्या दोनों दिखाई देंगे?

हम रा हैं। यह सही है। आपके घनत्वताओं के सारे अष्टक स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे, परंतु उसके आगे चौथी से लेकर सातवीं घनत्वता अपनी आज़ादी का इस्तेमाल करके चुनते हैं कि वो दिखाई देना नहीं चाहते हैं।

फिर किस तरह दूसरी घनत्वता का विकास तीसरी घनत्वता में होता है?

हम रा हैं। दूसरी घनत्वता, तीसरी घनत्वता की ओर बढ़ने का प्रयास करती है, जो कि आत्म-चेतना या आत्म-जागरूकता की घनत्वता होती है। आगे बढ़ने का प्रयास दूसरी घनत्वता के सबसे ऊँचे रूप से होता है जिन्हें तीसरी घनत्वता के जीवों के द्वारा एक पहचान के साथ इस हद तक निवेशित किया जाता है, जिससे वो आत्म-जागरूक मन/शरीर का समूह बन जाते है, इस प्रकार वो मन/शरीर/आत्मा का समूह बन जाते हैं और तीसरी घनत्वता में प्रवेश करते हैं, जो कि आत्मा के चेतना की पहली घनत्वता होती है।

इस समय हमारे ग्रह पृथ्वी की घनत्वता का क्या स्तर है?

हम रा हैं। यह ग्रह जिसमें आप रह रहें हैं, अपने मन/शरीर/आत्मा समूहों के अस्तित्व में अभी तीसरी घनत्वता में है। यह अभी स्थान/समय की निरंतरता में चौथी घनत्वता में है। इसी कारण कटाई के समय थोड़ी दिक्कतें आएगी।

एक तीसरी घनत्वता का ग्रह एक चौथी घनत्वता का ग्रह कैसे बनता है?

हम रा हैं। यह आख़िरी पूरा सवाल होगा।

चौथी घनत्वता, जैसा कि हमने कहा हैं, अपने दृष्टिकोण में उतनी ही नियमित है जैसे हर घंटे घड़ी में घंटा बजता है। आपके सौर मंडल के स्थान/समय ने इस ग्रहीय क्षेत्र को एक अलग कंपनता के व्यवस्था के स्थान/समय में कुण्डलित करने में सक्षम बनाया है। इस कारण से ग्रहीय क्षेत्र इन नए विकृतियों के द्वारा ढलने में सक्षम होता है। हालांकि, इस परिवर्तन काल में आपके लोगों के विचार रूप इस तरह के हैं कि व्यक्तिगत और समाजों दोनों के मन/शरीर/आत्मा समूहों की सोच सुई को पकड़ने और कम्पास को एक दिशा में इंगित करने में सक्षम होने के बजाय, हम कहेंगे, पूरे स्पेक्ट्रम में बिखरी हुई हैं।

इस प्रकार, प्रेम की कंपनता में प्रवेश करना, जिसे आपके लोगो द्वारा कभी कभी समझदारी की कंपनता भी कहा जाता हैं, यह आज के सामाजिक समूह में इतनी प्रभावी नहीं हैं। इस प्रकार यह कटाई कुछ इस तरह से होगी कि आप में से बहुत सारे लोग तीसरी-घनत्वता के चक्र को दोहराएंगे। इस समय आपके घुमक्कड़ों, आपके गुरुओं और आपके कई सारे माहिर लोगों ने पूरा प्रयास किया है कि कटाई ज्यादा से ज्यादा हो जाए। हालांकि, काफी कम लोगों की कटाई हो पाएगी।

कभी-कभी गलत या अनुचित सवाल पूछने के लिए मैं क्षमा चाहता हूँ। कभी-कभी बिल्कुल सही सवाल पूछना कठिन होता है। मैं किसी भी ऐसे आधार पर नहीं जाना चाहता जिसे हम पहले ही कवर कर चुके हैं। मैंने देखा है कि यह सत्र पिछले सत्रों की तुलना में कुछ छोटा है। क्या इसका कोई कारण है?

हम रा हैं। इस उपकरण की महत्वपूर्ण ऊर्जा कुछ कम है।

इससे मैं यह मान रहा हूंँ कि आज दूसरा सत्र नहीं करना अच्छा विचार होगा। क्या यह सही है?

हम रा हैं। यदि यह स्वीकार करने योग्य हो कि हम इस उपकरण की निगरानी करेंगे और जो सामग्री हम इससे लेते हैं उसकी कमी होने पर इसका इस्तेमाल करना बंद कर देंगे तो बाद में एक और सत्र आयोजित किया जा सकता है। हम इस उपकरण को थकाना नहीं चाहते हैं।

यह किसी भी सत्र में हमेशा स्वीकार योग्य है। मैं अपना आख़िरी सवाल पूछना चाहूँगा। क्या ऐसा कुछ है जो हम इस उपकरण को अधिक आरामदेह बनाने या इस संपर्क को सुविधाजनक बनाने के लिए कर सकते हैं?

हम रा हैं। यह ठीक है। आप में प्रत्येक इकाई सबसे अधिक कर्तव्यनिष्ठ है। इसी तरह जारी रखें। क्या कोई और छोटा सवाल है?

टॉम फ्लेहर्टी आज शाम यहाँ रहेंगे और शाम के सत्र में मदद करेंगे। क्या यह सही है?

हम रा हैं। यह सही है।

हम रा हैं। हम आपको एक अनंत रचयिता के प्रेम और रोशनी में छोड़ रहे हैं। इसलिए, एक रचयिता की शक्ति और शांति में आनन्दित होते हुए आगे बढ़ें। अडोनाई।


  1. कैसेट रिकॉर्डिंग से मूल लिखित प्रतिलिपियाँ द लॉ ऑफ़ वन शीर्षक के तहत चार पुस्तकों में प्रकाशित किए गए थे। (कार्ला और जिम की टिप्पणियों के साथ, पुस्तक I-IV से छोड़े गए अंशों वाली पांचवीं पुस्तक वर्षों बाद 1998 में प्रकाशित हुई थी।) नई लिखित प्रतिलिपियों को कैसे तैयार किया गया, इसके बारे में जानकारी के लिए द रा कॉन्टैक्ट के खंड 1 के पीछे “द रीलिसनिंग रिपोर्ट” देखें