हम रा हैं। हम आपका स्वागत एक अनंत रचयिता के प्रेम और रोशनी में करते हैं। अब हम संवाद करते हैं।

मैं पिछली रात सोच रहा था कि यदि मैं इस समय रा की जगह होता, तो एक के नियम की पहली विकृति के कारण हो सकता है मुझसे सही जानकारियों के साथ गलत जानकारी भी मिल जाती जो मैं इस समूह को प्रसारित कर रहा था। क्या आप ऐसा करते हैं?

हम रा हैं। हम ऐसा जानबूझकर नहीं करते हैं। हालांकि, भ्रम की स्थिति रहेगी। इस वक्त इस गलती का कारण इस उपकरण की कंपनात्मक समूह में कभी-कभार होने वाले परिवर्तन है जो एक रसायन पदार्थ के सेवन के कारण हुआ है। इस विशेष प्रॉजेक्ट में हमारा इरादा गलत जानकारी तैयार करना नहीं है बल्कि आपकी भाषा की व्यवस्था के सीमित माहौल में एक रचना के अनंत रहस्य की भावना को उसकी अनंत और बुद्धिमान एकता में व्यक्त करना है।

क्या बता सकते हैं कि कौन से रासायनिक पदार्थ का सेवन किया गया था? जो ख़राब संपर्क का कारण है?

हम रा हैं। यह एक स्पष्ट सवाल नहीं है। क्या आप कृपया इसे दोहरा सकते हैं?

आपने अभी बताया था कि आपको इस उपकरण के साथ कुछ दिक्कतें थी क्योंकि इस उपकरण के द्वारा, कुछ रासायनिक पदार्थ, का सेवन किया है। क्या आप मुझे बता सकते हैं कि वह कौन सा पदार्थ था?

हम रा है। जिस पदार्थ के बारे में हमने कहा है उसे कंपनात्मक ध्वनि समूह एलएसडी कहते हैं। यदि इसका इस्तेमाल संपर्क के साथ किया जाता है तो यह संपर्क को ख़राब नहीं करता है। इस विशेष पदार्थ से दिक्कत यह आती है कि, हम कहेंगे, जब इस पदार्थ का प्रभाव कम होता है तब बहुत नाटकीय गिरावट आती है। प्रत्येक मामले में इस उपकरण ने सत्र की शुरुआत बहुत अधिक महत्वपूर्ण ऊर्जा की विकृति के साथ की थी, जो यह पदार्थ पैदा करता है।

हालाँकि, यह इकाई, सत्र के दौरान, उस बिंदु पर थी जहां यह पदार्थ अपनी पूरी ताकत में नहीं था जिससे इस इकाई की महत्वपूर्ण ऊर्जा को व्यक्त करने की क्षमता में कई गुना वृद्धि हो सके। इस प्रकार, सबसे पहले इससे रुक रुक कर असमान संपर्क की घटना होती है, और बाद में, जैसे कि इस उपकरण को फिर से अपनी ही महत्वपूर्ण ऊर्जा के कंपनात्मक समूहों पर निर्भर होना पड़ता है, यह महत्वपूर्ण ऊर्जा जो कि इस मामले में बहुत कम है, इसलिये इस उपकरण को सुरक्षित रखने और उसका ख्याल रखने के लिए हमें इस संपर्क को अचानक बंद करनें की आवश्यक होती है। इन दिए गए कारणों से यह विशेष रसायनिक पदार्थ इन संपर्कों में सहायक और असहायक दोनों ही है।

क्या कोई ऐसा खाद्य पदार्थ है जो कि यह उपकरण खाए तो उसके लिए मददगार या हानिकारक होगा?

हम रा हैं। इस उपकरण की शारीरिक-समूह विकृति खराब स्वास्थ्य की दिशा में विकृत है जिसे अनाज और सब्जियों के खाद्य पदार्थों के सेवन द्वारा सबसे अच्छे तरीके से ठीक किया जा सकता है, जैसा कि आप इसे कहते है। हालांकि यह बेहद महत्वहीन हैं ज़ब इस तरीके से सहायता करने की तुलना में दूसरे तरीकों का इस्तेमाल किया जाए तो यह ज्यादा सहायक हो सकता है जैसे कि इस उपकरण की मनोवृत्ति, जो कि इसके अंदर प्रचुर मात्रा में है। हालाँकि, यह, इस उपकरण की महत्वपूर्ण ऊर्जाओं की सहायता करते हैं, जिससे खराब स्वास्थ्य के प्रति कम विकृति होती है, जिसमें यह उपकरण कम महत्वपूर्ण ऊर्जा की विकृति को ठीक करने की आवश्यकता के कारण ऊपर बताये गए खाद्य पदार्थों के साथ कभी-कभी चाहे तो जिसे आप मांसाहार कहते है, उसका सेवन भी कर सकती है।

धन्यवाद। मेरा जिम की तरफ से एक सवाल है जिसे मैं वैसे ही पढ़ रहा हूँ जिस तरह से यह बोला गया है।

“हमारी धरती पर खोज करने की ज्यादातर रहस्यवादी परंपरा ऐसी मान्यता रखती है कि किसी इकाई को ‘निर्वाण’ तक पहुंचने के लिए, जैसा कि इसे कहा जाता है, या बुद्धत्व को प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत स्वयं का नामो निशान मिटा देना चाहिए या पूरी तरह से नष्ट कर देना चाहिए और भौतिक संसार को नजरअंदाज कर देना चाहिए। किसी व्यक्तिगत स्वयं और उसकी सांसारिक गतिविधियों की क्या भूमिका है जिससे उस इकाई को एक के नियम में विकसित होने में सहायता मिल सके और वह आगे बढ़ सके?”

हम रा हैं। इस घनत्वता में किसी भी इकाई की उचित भूमिका यह होती है कि जिसकी उसे इच्छा होती है उन सारी चीजों का वो अनुभव ले, फिर उसका विश्लेषण करे, उसे समझे और अपने सारे अनुभवों को स्वीकार करे, फिर उसे अपने अंदर के प्रेम/रोशनी से शुद्ध करे। किसी पर भी नियंत्रण नहीं पाना होता है। जिसकी जरूरत नहीं होती है वह अपने आप ही छूट जाती है।

अपनी इच्छाओं के विश्लेषण के कारण ही झुकाव विकसित होती है। यह इच्छाएं ज्यादा से ज्यादा सचेत रूप से प्रेम/रोशनी को लागू करने की ओर विकृति होती है क्योंकि इकाई अपने शुद्ध अनुभव में स्वयं को प्रस्तुत करती है।

हमने पाया है कि किसी भी इच्छा पर नियंत्रण पाने के लिए प्रोत्साहित करना अत्यधिक अनुचित है, इसके अलावा जहाँ ऐसी इच्छाएं हैं जो एक के नियम के अनुकूल नहीं हैं, उन्हें भौतिक तल पर कार्यान्वित करने के बजाय कल्पना करने का सुझाव दिया जाता हैं—इससे स्वतंत्र इच्छा की प्रमुख विकृति की रक्षा होती है।

अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पाना नासमझी है क्योंकि नियंत्रण पाना एक असंतुलित क्रिया है जिससे समय/स्थान की निरंतरता में संतुलन बनाना कठिन हो जाता है। इस प्रकार नियंत्रण पाने से उस पर पकड़ बनाए रखने के लिए अतिरिक्त वातावरण तैयार होता है जिस पर आपने स्पष्ट रूप से नियंत्रण पा लिया है।

हर इकाई के लिए उचित समय में सभी चीजें स्वीकार योग्य हैं, और अनुभव करने में, समझने में, स्वीकार करने में, फिर अन्य-स्वयं के साथ साझा करने में, उचित विवरण एक प्रकार की विकृतियों से हटकर दूसरे प्रकार की विकृतियों की ओर जाना है जो कि संभव है कि एक के नियम के अधिक अनुकूल हो सकती हैं।

हम यह कहना चाहेंगे कि किसी भी इच्छा को नजरअंदाज करना या उस पर नियंत्रण करना आसान रास्ता है। इसके बजाय इसे समझना और स्वीकार किया जाना चाहिए। इसके लिए धैर्य और अनुभव की आवश्यकता होती है, जिसका विश्लेषण सावधानी से, स्वयं के प्रति और दूसरों के प्रति करुणा के साथ किया जा सकता है।

बुनियादी तौर पर, मैं यह कहूंगा कि किसी भी अन्य स्वयं, या किसी भी अन्य इकाई, की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन करना वो बुनियादी कार्य है जिसे एक के नियम के अंतर्गत बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए। क्या आप इस बुनियादी नियम के अलावा एक के नियम का कोई अन्य उल्लंघन बता सकते हैं?

हम रा हैं। जैसे जैसे कोई स्वतंत्र इच्छा की प्रमुख विकृति से आगे बढ़ती है, वह बुद्धिमान ऊर्जा के केंद्र बिंदुओं की समझ की ओर आगे बढ़ती है जिसने अपने वातावरण में एक विशेष मन/शरीर/आत्मा समूह की बुद्धिमानी या तरीकों का निर्माण किया है, जिसे आप प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कह सकते हैं।

इस प्रकार, उन विकृतियों से बचना चाहिए जहाँ प्रेम/रोशनी, या हम कहेँगे, इस विशेष ग्रह, या घनत्वता, के लोगोस के ऊर्जा के केंद्रित ध्यान की विकृतियों को ध्यान में नहीं रखा जाता है। इनमें प्राकृतिक पर्यावरण की ज़रूरतों की समझ की कमी, अन्य-स्वयं के मन/शरीर/आत्मा समूहों की जरूरतों को समझने की कमी भी शामिल है। इनमें से कई जरूरतें मानव निर्मित परिसरों की विभिन्न विकृतियों के कारण हैं, जिनमें इकाइयों की बुद्धिमानी और जागरूकता ने स्वयं के लिए उपलब्ध ऊर्जाओं का इस्तेमाल करने के अलग अलग तरीकों को चुना है।

इस प्रकार, जो एक इकाई के साथ अनुचित विकृति होगी वह अन्य के लिए उचित भी हो सकती है। हम यह सुझाव दे सकते हैं कि अन्य-स्वयं को भी स्वयं की तरह जानने की कोशिश की जानी चाहिए और इस प्रकार दूसरों की बुद्धिमानी और जागरूकता को समझ कर उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए जो दूसरों के लिए आवश्यक हो। कई मामलों में इसमें स्वतंत्र इच्छा की विकृति को तोड़ना मरोड़ना या टुकड़ो में विभाजित करके तोड़ना शामिल नहीं है, जिसे उल्लंघन कहा जाता है। हालांकि, यह सेवा का एक नाजुक मामला है, और करुणा, संवेदनशीलता और सहानुभूति की क्षमता, मानव निर्मित बुद्धिमानी और जागरूकता की विकृतियों से बचने में सहायक है।

वो क्षेत्र, या कार्य क्षेत्र जिसे सामाजिक समूह कहते हैं, ऐसा कार्यक्षेत्र है जिसे कोई विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस विशेष ग्रह में लोगों का विशेषाधिकार सम्मान/कर्तव्य है जो कि अपनी स्वतंत्र इच्छा के अनुसार समाज की सहायता करने के लिए प्रयास करता है।

इस प्रकार आपके पास दो सरल तरीके है: प्रकृति में व्यक्त बुद्धिमान ऊर्जा के बारे में जागरूक होना; स्वयं में व्यक्त बुद्धिमान ऊर्जा के बारे में जागरूक होना, और जब इकाई को सही लगे तब इसे सामाजिक समूह के साथ साझा करना। और आपके पास एक अनंत रूप से जटिल और अलग अलग तरह की विकृतियों का समूह है जिसके बारे में आप जागरूक हो सकते हैं; यानी कि, स्वयं और दूसरों के साथ संबंध में विकृतियां जो स्वतंत्र इच्छा से संबंधित नहीं हैं लेकिन दूसरों के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बना कर उनको ऐसी सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं जिससे उन्हें सबसे अधिक लाभ हो।

एक इकाई के रूप में जब कोई इस घनत्वता में बचपन से विकास करती है, वह अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक जागरूक हो जाती है। क्या कोई ऐसी उम्र है जिसके नीचे वह इकाई अपने कर्म के प्रति जिम्मेदार नहीं होती हो, या फिर वह जन्म लेते ही अपने कर्म के प्रति जिम्मेदार हो जाती है?

हम रा हैं। एक इकाई जब इस पृथ्वी तल पर जन्म लेती है, वह, निरंतरता के माध्यम से उसके समय/स्थान के अलग अलग बिंदुओं पर स्वयं के प्रति जागरूक होती है। इसका मध्य का समय हो सकता है, हम कहेंगे, आपके लगभग पंद्रह महीनों का हो। कुछ इकाइयाँ जन्म लेने के कुछ बाद ही जागरूक हो जाती हैं, कुछ इकाइयाँ इस घटना के काफ़ी बाद जागरूक होती हैं। सभी मामलों में वो जिस समय भी जागरूक होती है उसके कर्म तभी से ही बनने शुरू हो जाते हैं और वह अपने कर्म के प्रति जिम्मेदार हो जाती है। यह जिम्मेदारी उस बिंदु से पीछे की ओर निरंतरता में प्रभावी हो जाती है ताकि वह इकाई इन विकृतियों को समझ सके और इकाई के सीखते ही विकृतियां खत्म हो जाती है।

फिर एक इकाई, मान लीजिए, जब चार वर्षों की हो जाती है तब वह पूरी तरह से अपने किन्ही भी कर्मों के प्रति जिम्मेदार हो जाती है, जो एक के नियम के खिलाफ या असामंजस्यपूर्ण होते हैं। क्या यह सही है?

हम रा हैं। यह सही है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि आपके सामाजिक समूह की संरचनाओं द्वारा ऐसी व्यवस्था बनाई गई है कि जन्म लेने वाली नई इकाई को मार्गदर्शक के रूप में एक भौतिक मन/शरीर/आत्मा समूह प्रदान किया जाता है, इस प्रकार वो जल्दी से सीखनें में सक्षम जाए कि क्या एक के नियम के अनुकूल है।

यह मार्गदर्शक कौन हैं?

हम रा हैं। यह मार्गदर्शक वह हैं जिन्हें आप माता-पिता, शिक्षक और मित्र कहते हैं।

अच्छा ऐसा है। इकाई ऐलिस्टर क्राउली ने लिखा था कि “जो आप चाहते हैं वही करें, यही पूरा नियम है।” वो जाहिर तौर पर कुछ हद तक, एक के नियम के बारे में जानकारी रखते थे। यह इकाई अब कहाँ है?

हम रा हैं। यह इकाई अभी आपके आंतरिक तलों में है। यह इकाई हीलिंग की प्रक्रिया में है।

क्या यह इकाई, फिर, भले ही वह बौद्धिक रूप से एक के नियम को समझती थी, उसने इसका कोई गलत इस्तेमाल किया था और इसलिए उन्हें हीलिंग की प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है?

हम रा हैं। यह इकाई चीजों की वास्तविक प्रकृति के प्रति अधिक उत्तेजित हो गयी थी, हम उत्तेजित कंपनात्मक ध्वनि समूह का इस्तेमाल कर सकते है। इस अति उत्तेजना का परिणाम यह हुआ कि इस इकाई का व्यवहार उसके सचेत नियंत्रण से परे था। इस इकाई ने इस प्रकार—संतुलन प्रकिया से गुजरने की काफ़ी कोशिश की, जैसा कि हमने अलग अलग चक्रों के बारे में बताया है जो लाल किरण से शुरू होकर ऊपर की ओर जाती हैं—ऐसा करने पर, वह कुछ हद तक अत्यधिक प्रभावित हो गए या इस प्रक्रिया में फंस गए और अन्य-स्वयं से अलग हो गए।

वो इकाई सकारात्मक थी। हालाँकि, उनकी पूरी जीवन यात्रा कठिन रही क्योंकि वो अपनी इच्छाओं की समझदारी का इस्तेमाल करने, संश्लेषण करने तथा सामंजस्य स्थापित करने में असमर्थ रहे थे ताकि इसे पूरी करुणा से अन्य-स्वयं के साथ साझा किया जा सके। इस प्रकार यह इकाई, जैसा कि आप इसे कहते है, आध्यात्मिक रुप से, काफी अस्वस्थ हो गयी, और आंतरिक दर्द के प्रति इस प्रकार की विकृति वाले लोगों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि उन्हें आंतरिक तलों पर तब तक पोषित किया जाए जब तक कि ऐसी इकाई दर्द के प्रति कम विकृति के साथ उन अनुभवों को फिर से देखने में सक्षम ना हो जाए।

कल आपने कहा था कि माफ़ी माँगने से ही कर्मों को पूरी तरह जड़ से मिटाया जा सकता है। मेरा मानना यह है कि कर्म को पूरी तरह जड़ से मिटाने के लिए संतुलित माफी के लिए ना सिर्फ अन्य-स्वयं को माफ़ करना है, बल्कि स्वयं को भी माफ करने की आवश्यकता होती है। क्या मैं सही हूँ?

हम रा हैं। आप सही हैं। हम इसे समझाने के लिए इस बारे में थोड़ा और बताना चाहते हैं ताकि यह समझ थोड़ी और स्पष्ट हो सके।

अन्य-स्वयं को माफ़ करना स्वयं को माफ़ करना है। यह समझदारी स्वयं को और अन्य-स्वयं को सचेत स्तर पर पूरी तरह से माफ़ करने पर ज़ोर देती है क्योंकि वो दोनों एक ही हैं। इस प्रकार स्वयं को शामिल किए बगैर यह माफ़ी पूरी हो ही नहीं सकती है।

आपने बताया था कि कई सारे महासंघ हैं। क्या सभी मूल रूप से एक ही तरीके से, अनंत रचयिता की सेवा करते हैं, या कुछ विशेष प्रकार की सेवा में विशेषज्ञ होते हैं?

हम रा हैं। सभी एक रचयिता की सेवा करते हैं। सेवा करने के लिए और कुछ भी नहीं है, क्योंकि जो कुछ भी है वह सब कुछ रचयिता ही है। रचयिता की सेवा ना करना असंभव है। इस सेवा की बस अलग-अलग विकृतियां हैं।

जैसा कि जो महासंघ में आप के लोगों के साथ कार्य करते हैं, उनमें से प्रत्येक महासंघ कुछ विशेष व्यक्तियों की सामूहिक स्मृति समूह है, जिनमें से प्रत्येक वो कर रहा है जिसे वो भौतिक रूप से प्रकट करने के लिए व्यक्त करना चाहता है।

क्या आप बता सकते हैं कि याहवे ने पृथ्वी के लोगों के साथ कैसे संपर्क किया था?

हम रा हैं। यह कुछ हद तक जटिल सवाल है।

पहला संपर्क वो था जिसे आप आनुवंशिक कहेंगे। दूसरा संपर्क आप लोगों के बीच चलना था ताकि आगे चलकर चेतना में और अधिक आनुवंशिक बदलाव उत्पन्न किया जा सके। तीसरा अपने चुने हुए चैनल्स के साथ संवादों की एक श्रृंखला थी।

क्या आप मुझे बता सकते हैं कि यह आनुवंशिक बदलाव क्या थे और उन्हें कैसे लाया गया था?

हम रा है। इनमें से कुछ आनुवंशिक बदलाव उसी रूप के समान थे जिसे आप क्लोनिंग की प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रकार, इकाइयों ने याहवे इकाइयों की छवि में जन्म लिया। दूसरा उस प्रकृति का संपर्क था जिसे आप शारीरिक संबंध के रूप में जानते हैं, जिसमें आपके शारीरिक समूह की बुद्धिमान ऊर्जा द्वारा मन/शरीर/आत्मा समूह को प्रजनन के पैटर्न के प्राकृतिक साधनों के माध्यम से बदल कर तैयार किया गया था।

क्या आप मुझे विशेष तौर पर बता सकते हैं कि उन्होंने इस मामले में क्या किया था?

हम रा हैं। हमने इसका जवाब पहले ही दे दिया है। कृपया आगे की जानकारी के लिए सवाल दोबारा पूछें।

क्या आप बता सकते हैं कि…याहवे के हस्तक्षेप से पहले और हस्तक्षेप के बाद, सेक्सुअल प्रोग्रामिंग, में क्या अंतर था?

हम रा हैं। यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हम केवल यह बताकर दे सकते हैं कि आनुवंशिक माध्यमों द्वारा हस्तक्षेप एक समान होता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस बदलाव का स्रोत क्या है।

क्या आप बता सकते हैं कि आनुवंशिक सेक्सुअल बदलाव करने में याहवे का क्या उद्देश्य था?

हम रा हैं। सात पाँच शून्य शून्य शून्य [75,000] वर्षों पूर्व, जैसा कि आप समय को नापते हैं, उस समय [के] बाद के परिवर्तनों का केवल एक ही उद्देश्य था: मन/शरीर समूह में उन विशेषताओं को व्यक्त करना जिससे आगे और अधिक तेजी से आध्यात्मिक समूह के विकास की ओर बढ़ा जा सकता है।

यह विशेषताएं किस प्रकार और अधिक, आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर हुईं?

@रा

हम रा हैं। जिन विशेषताओं को प्रोत्साहित किया गया था उसमें अनुभवों को तेज़ करने के लिए शारीरिक इंद्रियों की संवेदनशीलता और इन्हीं अनुभवों के विश्लेषण करने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए मन को सशक्त करना शामिल है।

याहवे ने आनुवंशिक बदलाव करने के लिए कब कार्य किया जिसका प्रदर्शन याहवे ने किया था?

हम रा हैं। याहवे समूह ने उस ग्रह के लोगों के साथ, जिसे आप मंगल कहते हैं, सात पाँच, पचहत्तर हज़ार [75,000] वर्षों पूर्व कार्य किया था जिसे आप क्लोनिंग की प्रक्रिया कहेंगे। इसके बीच मतभेद हैं, लेकिन यह आपके समय/स्थान की निरंतरता के भविष्य में स्थित है, और हम स्वतंत्र इच्छा भ्रम के नियम को नहीं तोड़ सकते हैं।

लगभग, दो छह शून्य शून्य [2,600] वर्षों पूर्व दूसरी बार—हम स्वयं को सुधारना चाहेंगे—लगभग तीन छह शून्य शून्य [3,600] वर्षों पूर्व इस सांस्कृतिक समूह के दौरान ऑरायन समूह के लोगो द्वारा प्रयास किया गया था। यह समागमों की एक श्रृंखला थी जिसमें वो जिन्हें अनक कहा जाता था, उनको हमारे भौतिक साधनों द्वारा नई आनुवंशिक कोडिंग के साथ गर्भवती किया गया था ताकि शारीरिक गठन विशाल और ताकतवर हो जाएं।

वो क्यों चाहते थे कि उनका शारीरिक गठन विशाल और ताकतवर हो?

याहवे के लोग एक के नियम को पूरी तरह समझने में सक्षम मन/शरीर समूहों का निर्माण करके एक के नियम की समझ पैदा करने का प्रयास कर रहे थे। अपेक्षित विकृतियों की दृष्टि से यह प्रयोग निश्चित रूप से असफल रहा, क्योंकि एक के नियम को आत्मसात करने की बजाय, इन तथाकथित सामाजिक समूह या उप-समूह का स्वयं को एलीट या अलग, और दूसरों से बेहतर मानना, एक बड़ा लोभ था, जो स्वयं की सेवा के तरीकों में से एक है।

फिर ऑरायन समूह…मुझे पूरा यकीन नहीं है कि मुझे ठीक से समझ आया है। क्या आपका मतलब यह है कि ऑरायन समूह ने एलीट्स बनाने के लिए, इन विशाल इकाइयों का निर्माण किया, ताकि एक के नियम को नकारात्मक अर्थ से लागू किया जा सके?

हम रा हैं यह गलत है। याहवे की इकाइयाँ इक्के-दुक्के मामलों में इन प्रक्रियाओं को प्रयोग के रूप में करने के लिये जिम्मेदार थीं ताकि वो ऑरायन समूह का मुकाबला कर सकें।

हालांकि, एकता को सीखने/सिखाने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय ऑरायन समूह इन मन/शरीर समूह की विकृतियों का इस्तेमाल करके उनमें एलीट के विचारों को विकसित करने में सक्षम हुए।

खैर, क्या याहवे, महासंघ के थे?

हम रा हैं। याहवे महासंघ के ही थे परंतु सहायता करने के अपने प्रयासों में गलत थे।

फिर याहवे का संपर्क मददगार नहीं हो सका या याहवे वो नहीं बना सके जिसे बनाने की उनकी इच्छा थी। क्या यह सही है?

हम रा हैं। इस संपर्क के नतीजे काफी मिलेजुले रहे। जहाँ इकाइयों की कंपनता की कुल विशेषता ऐसी थी जो एकता को गले लगाती थी, वहाँ याहवे के हेरफेर काफी उपयोगी थे। जिस स्थिति में स्वतंत्र इच्छा की इकाइयों ने कुल कंपनता के योग में से कम सकारात्मक झुकाव वाले व्यवस्था को चुना था, वहीं ऑरायन समूह के लोग, पहली बार, इस ग्रह की चेतना में गंभीर दखलंदाजी करने में सक्षम हुए थे।

क्या आप मुझे विशेष रूप से बता सकते हैं कि किस चीज़ ने ऑरायन समूह को इनमें से सबसे गंभीर दखलंदाजी की अनुमति दी थी?

हम रा हैं। यह इस सत्र का आख़िरी पूरा सवाल होगा।

विशेष रूप से, जो लोग ताकतवर, बुद्धिमान, इत्यादि, होते हैं, उनमें अपने आप को उनसे अलग समझने का लोभ होता है जो उनसे कम बुद्धिमान और ताकतवर हैं। यह अन्य-स्वयं के साथ एकता की एक विकृत अवधारणा है। इसने ऑरायन समूह को पवित्र युद्ध की अवधारणा को रूप देने की अनुमति दी, जैसा कि आप इसे कहते है। यह गंभीर रुप से विकृत अवधारणा है। इनमें से कई युद्ध विनाशकारी प्रकृति के थे।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरा मानना है कि एक के नियम की संपूर्ण कार्यप्रणाली को समझने के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है। यह मददगार होगा। जैसा कि आप शायद जानते हैं, मुझे अगले तीन दिनों तक काम करना होगा, इसलिए यदि आपको लगता है कि यह संभव है तो हम संभवतः आज रात एक और सत्र आयोजित करेंगे। और उसके बाद अगला सत्र अब से चार दिन तक नहीं होगा। क्या आपको लगता है कि आज रात एक और सत्र करना संभव है?

हम रा हैं। यह उपकरण कुछ कमजोर है। यह विकृति महत्वपूर्ण ऊर्जा के कमी के कारण है। इस प्रकार, इस उपकरण को शारीरिक संतुलन में पोषित किया जाए तो एक और सत्र की अनुमति दी जा सकती है। क्या आपको यह समझ आया?

पूरी तरह से नहीं। शारीरिक संतुलन के लिए हमें विशेष रूप से क्या करना चाहिए?

हम रा हैं। पहला: खान-पान का ध्यान रखें। दूसरा: शारीरिक दर्द के प्रति विकृति के प्रभाव को कम करने के लिए उसके शरीर को हिलाएं-डुलाएं। तीसरा: जिसे आप व्यायाम कहेंगे उसकी एक निश्चित मात्रा को प्रोत्साहित करें। अंतिम निर्देश: इस दूसरे सत्र में इस्तेमाल की गई वस्तुओं की सीध का विशेष ध्यान रखें ताकि इकाई इन अलग अलग प्रतीकों से यथासंभव अधिक सहायता प्राप्त कर सके। हमारा सुझाव है कि आप इन प्रतीकों को काफ़ी सावधानी से जांचें। इस सत्र में इस इकाई को उचित व्यवस्था से थोड़ा गलत स्थान पर रखा गया था। इस समय तो यह महत्वपूर्ण नहीं है। जब दूसरा सत्र करना हो तो यह अधिक महत्वपूर्ण है।

हम रा हैं। हम आपको, हमारे दोस्तों को, एक अनंत रचयिता के प्रेम और रोशनी में छोड़ते हैं। इसलिए, एक अनंत रचयिता की शक्ति और शांति में आनंदित होते हुए आगे बढ़ें। अडोनाई।